Vishal Singh
Email : vishal.singh@dpsn.org.inAnjali Mishra
Email : anjali.mishra@dpsn.org.inAnjana Wahie
Email : anjana.wahie@dpsn.org.inउलटे अर्थ देनेवाले शब्द विपरीतार्थक अथवा विलोम शब्द कहलाते है।
विलोम का अर्थ है – उलटा अर्थ देनेवाला।
ICSE हिंदी में विलोम शब्द के लिए कोई पाठ्यक्रम नहीं है।
विलोम शब्द कहीं से भी आ सकता है।
आपके हिंदी व्याकरण की किताब में कई विलोम शब्द दिए गए हैं।
यहाँ हमने आपके लिए उन विलोम शब्दों को चुना है, जिन्हें आपने अपनी पिछली कक्षा में पढ़ा होगा।
मैंने इन विलोम शब्दों को वर्णमाला के क्रम से सजाया है।
आप सभी इन विलोम शब्दों को पढ़ें और याद कर अपनी कॉपी में लिखें।
व्याकरण के लिए लाल रंग वाली छोटी कॉपी बनाएँ।
अमृत- विष
• अथ- इति
• अन्धकार- प्रकाश
• अल्पायु- दीर्घायु
• अनुराग- विराग
• अनुज- अग्रज
• अधिक- न्यून
• अर्थ- अनर्थ
• अतिवृष्टि- अनावृष्टि
• अनुपस्थिति- उपस्थिति
• अज्ञान- ज्ञान
• अनुकूल- प्रतिकूल
• अभिज्ञ- अनभिज्ञ
• अल्प- अधिक
• अनिवार्य- वैकल्पिक
• अगम- सुगम
• अभिमान- नम्रता
• अनुग्रह- विग्रह
• अपमान- सम्मान
• अरुचि- रुचि
• अर्वाचीन- प्राचीन
• अवनति- उन्नति
• अवनी- अंबर
• अच्छा- बुरा
• अच्छाई- बुराई
• अमीर- ग़रीब
• अंधेरा- उजाला
• अर्जित- अनर्जित
• अंत- प्रारंभ
• अंतिम- प्रारंभिक
• अनजान- जाना-पहचाना
आदि- अंत
• आगामी- गत
• आग्रह- दुराग्रह
• आकर्षण- विकर्षण
• आदान- प्रदान
• आलस्य- स्फूर्ति
• आदर्श- यथार्थ
• आय- व्यय
• आहार- निराहार
• आविर्भाव- तिरोभाव
• आमिष- निरामिष
• आर्द्र- शुष्क
• आज़ादी- ग़ुलामी
• आकाश- पाताल
• आशा- निराशा
• आश्रित- निराश्रित
• आरंभ- अंत
• आदर- अनादर
• आयात- निर्यात
• आर्य- अनार्य
• आदि- अनादि
• आस्तिक- नास्तिक
• आवश्यक- अनावश्यक
• आनंद- शोक
• आधुनिक- प्राचीन
• आना- जाना
• आलस्य- फुर्ती
• आध्यात्मिक- भौतिक
इच्छा- अनिच्छा
इष्ट- अनिष्ट
इच्छित- अनिच्छितइहलोक- परलोक
उत्कर्ष- अपकर्ष
• उत्थान- पतन
• उद्यमी- आलसी
• उर्वर- ऊसर
• उधार- नक़द
• उपस्थित- अनुपस्थित
• उत्कृष्ट- निकृष्ट
• उपजाऊ- बंजर
• उदय- अस्त
• उपकार- अपकार
• उदार- अनुदार
• उत्तीर्ण- अनुत्तीर्ण
• उत्तर- दक्षिण
• ऊंचा- नीचा
• उन्नति- अवनति
• उचित- अनुचित
• उत्तरार्द्ध- पूर्वार्द्ध
ए
एकता- अनेकता
• एक- अनेक
ऐ
• ऐसा- वैसा
औ
• औपचारिक- अनौपचारिक
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। अपने जीवन को सरस और सफल बनाने के लिए वह अपने परिवार, समाज, संबंधियों, मित्रों तथा सभी परिचितों से संबंध बनाकर रखता है। पत्र-व्यवहार न केवल परिचितों के साथ बल्कि अपरिचितों के साथ भी विचार-विनिमय बनाए रखने मे सहायक होता है। पत्रों के माध्यम से हम अपने इष्ट मित्रों तथा आत्मीय जनों से विचारों का आदान-प्रदान सहजता से कर सकते हैं। पत्र न केवल व्यक्तिगत संबंधों में, बल्कि व्यापार और व्यवसाय में भी मनुष्य के लिए सहायक सिद्ध होते हैं।
पत्र के प्रकार
औपचारिक पत्र
अनौपचारिक पत्र
औपचारिक पत्र – ये पत्र अपने क्षेत्र में व्याप्त परेशानियों की चर्चा करने, आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उच्चाधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने, सरकारी कर्मचारियों को सूचित करने, समाचार-पत्र के संपादक को, प्रधानाचार्य आदि को लिखे जाते हैं। औपचारिक पत्र को भी दो वर्गों में बाँट सकते हैं – (क) आवेदन-पत्र (ख) व्यावसायिक-पत्र/अधिकारिक-पत्र।
अनौपचारिक पत्र – ये पत्र दूर रहने वाले संबंधियों, मित्रों एवं परिचितों को लिखे जाते हैं। ऐसे पत्रों में भावनाओं, अनुभूतियों तथा अपनत्व का पुट अवश्य होना चाहिए।
अच्छे पत्र की विशेषताएँ –
1.पत्र संक्षिप्त और अर्थपूर्ण होना चाहिए।
2.पत्र हमेशा स्वच्छता से लिखा जाना चाहिए।
3.पत्र की भाषा-शुद्ध, सहज एवं स्पष्ट होनी चाहिए।
4.किसी भी श्रेणी का पत्र हो, पत्र में दिनांक अवश्य लिखना चाहिए।
5.अशिष्ट, भद्दे एवं अश्लील शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
6.सरकारी पत्र हमेशा संक्षिप्त होने चाहिए।
7.पारिवारिक पत्रों में आत्मीयता तथा अपनत्व का भाव होना चाहिए।
8.शिकायती पत्र की भाषा में विवेक और संयम का भाव होना चाहिए।
9.पत्र में अनावश्यक विस्तार नहीं होना चाहिए।
10.दोनों प्रकार के पत्र पृष्ठ की बायीं तरफ से लिखना आवश्यक है।
पत्र का प्रारूप (Format)
औपचारिक-पत्र
पत्र भेजने वाले(प्रेषक) का पता
दिनांक__________________________________
सेवा में,
पत्र-प्राप्तक का पद-परिचय
एवं पता
विषय:_____________________________
संबोधन ( महोदय/महोदया, श्रीमान/श्रीमती)
विषय-वस्तु – ( तीन या चार अनुच्छेद में)
समस्या + कारण + समाधान (2 + 2 + 1 = 5)_____________________________
__________________________________________________________________
__________________________________________________________________
समापन (स्वनिर्देश/आत्मनिर्देश)
भवदीय/भवदीया/ आज्ञाकारी/आज्ञाकारिणी,
नाम
(विभाग/वर्ग, यदि हो)
__________________________________
__________________________________
अनौपचारिक-पत्र
पत्र भेजने वाले (प्रेषक) का पता
दिनांक
संबोधन
(प्रिय, आदरणीय, पूजनीय आदि) ___________________________
अभिवादन
(स्नेह, आशीर्वाद,चरणस्पर्श आदि) ____________________________
विषय-वस्तु (तीन या चार अनुच्छेद में)
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_________________________________________________________
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संबंधसूचक शब्द
(आपका पुत्र/पुत्री भतीजा/भतीजी पोता/पोती तुम्हारा मित्र/हितैषी, नाम)
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ICSE [2011]
1. आपने नया कम्प्यूटर खरीदा है, किन्तु खरीदने के एक महीने बाद ही उसमें खराबी आ गयी। आपकी शिकायत पर दुकानदार ने कोई
ध्यान नहीं दिया। कम्पनी के मुख्य मैनेजर को पत्र लिखकर घटना की जानकारी देते हुए उनसे अनुरोध कीजिए कि वे आपके साथ न्याय करें।
ICSE [2012]
2. आपके नगर में एक ’विज्ञान-कार्यशाला’ का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यशाला के संयोजक को पत्र लिखकर बताइए कि आप भी इसमें सम्मिलित होना चाहते हैं।